2025 में छठ पूजा: अद्भुत नहाय-खाय कब है?

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छठ पूजा 2025 के नहाय खाय के दिन का इंतजार हर भक्त बेताबी से करता है। यह पर्व अपने पारंपरिक अनुष्ठानों और भक्ति से भरे गुरुत्वाकर्षण के कारण खास है। जब हम “छठ पूजा 2025 नहाय खाय” की बात करते हैं, तो यह न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जीवन में एक नई ऊर्जा भरने जैसा है। नहाय खाय का दिन विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन से उपवास और तपस्या शुरू होती है, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होती है। इस दिन व्रती साफ-सफाई करते हैं, सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और आध्यात्मिक शुद्धि से जुड़ते हैं। इससे न केवल शरीर बल्कि मन और आत्मा भी पवित्र होती है। 2025 में छठ पूजा कब शुरू होगी, कब नहाय खाय होगा और इसके पीछे की कहानियाँ जानना सभी के लिए उत्साहजनक अनुभव होगा। इससे हमें यह भी समझने को मिलेगा कि यह पर्व हमारे जीवन में क्यों इतना खास स्थान रखता है और कैसे यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखता है। चलिए, इस सुंदर त्योहार की तारीखों और खासियतों को साथ में जानें।

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छठ पूजा 2025: नहाय खाय कब है?

छठ पूजा हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण चार दिवसीय पर्व है, जो विशेष रूप से बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में बड़े विधि-विधान से मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के लिए समर्पित है। वर्ष 2025 में छठ पूजा का शुभारंभ 25 अक्टूबर से होगा। इस पर्व की शुरुआत ‘नहाय खाय’ के दिन से होती है, जो व्रत के पहले दिन का प्रतीक है। इस दिन व्रती लोग पवित्र स्नान (नहाना) करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। माना जाता है कि इस दिन से ही उपवास प्रारंभ हो जाता है, जिसमें तामसिक पदार्थों से परहेज़ करते हुए शुद्ध आहार लिया जाता है।

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नहाय खाय का महत्व

25 अक्टूबर 2025 के दिन ‘नहाय खाय’ के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस दिन व्रती सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र जल में स्नान करते हैं, जिसे ‘नहाय’ कहा जाता है। स्नान के बाद वे सफ़ेद और स्वच्छ नए वस्त्र पहनकर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं। ‘खाय’ का अर्थ है भोजन करना – इस दिन व्रती सात्विक आहार ग्रहण करते हैं, जिसमें लौकी की सब्जी, चावल और दाल प्रमुख होती हैं। विशेष रूप से यह भोजन बिना प्याज और लहसुन के बनाया जाता है। इस प्रकार का आहार शुद्ध और पवित्र माना जाता है। नहाय खाय का भोजन ग्रहण करने के बाद ही व्रती निर्जला व्रत की शुरुआत करते हैं, जो ‘खरना’ तक चलता है।

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खरना (26 अक्टूबर 2025)

नहाय खाय के अगले दिन, अर्थात् 26 अक्टूबर 2025, छठ पूजा का दूसरा दिन ‘खरना’ होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं, अर्थात पानी और भोजन का त्याग करते हैं। शाम के समय स्नान आदि से निवृत्त होकर वे छठी मैया की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। इस पूजा के दौरान विशेष प्रसाद के रूप में चावल की खीर, ताजे फल और कसार (घी, गुड़ और आटे से बना खास प्रसाद) अर्पित किया जाता है। खरना के प्रसाद को व्रती अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर ग्रहण करते हैं। इसके बाद व्रती का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो जाता है, जो अगले दिन की शाम तक चलता है।

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अर्घ्य का शुभ मुहूर्त

छठ पूजा का तीसरा दिन, 27 अक्टूबर 2025, सूर्यदेव को डूबते हुए अर्घ्य देने का शुभ अवसर होता है। यह दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, षष्ठी तिथि सुबह 06:04 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन सुबह 07:59 बजे तक रहेगी। इसलिए 27 अक्टूबर की शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। यह अनुष्ठान व्रत की सफलता और परिवार की खुशहाली के लिए अत्यंत महत्व रखता है।

छठ पूजा का अंतिम दिन, यानी 28 अक्टूबर 2025, उगते सूर्य को अर्घ्य समर्पित करने का दिन होता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के अनुसार सूर्योदय के समय यह अर्घ्य दिया जाता है। इसी के साथ छठ पूजा का समापन होता है। इस प्रकार, छठ पूजा 2025 में 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाई जाएगी, जिसमें पहला दिन नहाय खाय, दूसरा खरना, तीसरा दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देना शामिल है।

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खरना का शुभ मुहूर्त और महत्व

छठ पूजा का पर्व नहाए-खाए के साथ प्रारंभ होता है, और खरना इस त्योहार का एक बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है। वर्ष 2025 में, खरना 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस खास दिन पर व्रती महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और संध्याकाल में विशेष पूजा-अर्चना सम्पन्न करती हैं। खरना का दिन भक्ति और शुद्धि का प्रतीक माना जाता है, जो छठ पूजा को सफल रूप से पूरा करता है।

खरना का महत्व

खरना का शाब्दिक अर्थ है ‘शुद्धिकरण’। इस दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और शाम के समय स्नान आदि करके छठी मैया की पूजा करती हैं। पूजा के दौरान छठी मैया को विशेष रूप से चावल की खीर, ताजे फल और रंग-बिरंगे फूल अर्पित किए जाते हैं। यह दिन व्रती की आस्था और समर्पण का द्योतक होता है।

  • पूजा श्रद्धा से सम्पन्न होने के बाद व्रती महिलाएं स्वयं खीर का प्रसाद ग्रहण करती हैं।
  • इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ होता है, जो सूर्य को अर्घ्य देने के उपरांत समाप्त होता है।
  • खरना के दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्रती को विशेष फल प्राप्ति की मान्यता प्रचलित है।
  • यह दिन परिवार के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि प्रसाद के रूप में बनी खीर परिवार के सदस्यों के बीच साझा की जाती है।

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खरना का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, खरना कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ता है। वर्ष 2025 में यह तिथि 26 अक्टूबर को है। इस दिन संध्याकालीन समय जबरदस्त महत्ता रखता है, जिसमें व्रती महिलाएं विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करती हैं।

  • संध्याकालीन पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अक्टूबर को निर्धारित है।
  • व्रती इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला उपवास रखते हैं।
  • शाम को विधि-विधान से पूजा पूर्ण करने के बाद प्रसाद ग्रहण करना शुभ माना जाता है।

खरना के अवसर पर व्रती महिलाएं अत्यंत पवित्रता और अनुशासन का पालन करती हैं। यह दिन आस्था और भक्ति से ओतप्रोत रहता है। मान्यता है कि इसी दिन छठी मैया व्रतस्थ घर में निवास करती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं, जिससे पूरा वातावरण शांति और भक्ति से भर जाता है।

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27 अक्टूबर: डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय

छठ पूजा, जो कि चार दिनों तक चलने वाला एक पवित्र पर्व है, का समापन सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने के साथ होता है। छठ पूजा के तीसरे दिन, जिसे कार्तिक शुक्ल षष्ठी कहा जाता है, व्रती महिलाएं डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह क्षण भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसके माध्यम से वे अपनी हार्दिक कृतज्ञता सूर्य देव को समर्पित करते हैं। इस वर्ष 27 अक्टूबर की शाम को यह पवित्र अर्घ्य दिया जाएगा।

पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 27 अक्टूबर को सुबह 06:04 बजे से शुरू होकर अगले दिन, 28 अक्टूबर को सुबह 07:59 बजे समाप्त होगी। इसलिए, 27 अक्टूबर की संध्याकाल बेला में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। इसके उपरांत, छठ पूजा के अंतिम दिन, अर्थात् 28 अक्टूबर को, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा।

इस समय का महत्व व्रतियों के लिए अत्यधिक होता है, क्योंकि वे पूरे वर्ष इस पल की प्रतीक्षा करते हैं। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की प्रक्रिया में शुद्धता और विधिपूर्वक व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह त्योहार केवल सूर्य देव की उपासना का नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का भी एक अनुपम अवसर है।

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28 अक्टूबर: उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय और छठ पूजा का समापन

छठ पूजा एक महत्वपूर्ण चार दिवसीय हिंदू त्योहार है, जो कार्तिक शुक्ल षष्ठी को समाप्त करता है। इस पर्व के अंतिम दिन, व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हुए इस अनुष्ठान का समापन करते हैं। 28 अक्टूबर 2025 को यह पवित्र दिन मनाया जाएगा, जब सुबह सूर्योदय के समय विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 27 अक्टूबर को सुबह 06:04 पर आरंभ होकर 28 अक्टूबर को सुबह 07:59 पर समाप्त होगी। इसलिए, 27 अक्टूबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, तथा अगले दिन, 28 अक्टूबर सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होगा। यह दिन सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता और आशीर्वाद प्राप्ति का अनमोल अवसर है।

Source: छठ पूजा 2023: नहाय-खाय से लेकर उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक, जानें कब क्या है

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छठ पूजा के मुख्य दिन और मुहूर्त

छठ पूजा चार दिनों तक मनाया जाता है, और इस त्योहार के प्रत्येक दिन का अपना एक खास महत्व होता है। 2025 में छठ पूजा के मुख्य दिनों और उनके शुभ मुहूर्त को समझना श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक है। आइए जानें इन चार पवित्र दिनों के बारे में विस्तार से:

  • नहाय-खाय (25 अक्टूबर 2025): छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। इस दिन व्रती पानी में स्नान कर, सात्विक और शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं जिसमें चावल, दाल और लौकी की सब्जी शामिल होती है। यह दिन शुद्धता और आत्म-अनुशासन का महत्व दर्शाता है।
  • खरना (26 अक्टूबर 2025): यह दिन पंचमी तिथि के साथ मनाया जाता है। खरना के दिन व्रती निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को स्नान के बाद छठी मैया की पूजा करते हैं। प्रसाद के रूप में चावल की खीर तथा मौसमी फल चढ़ाए जाते हैं। खरना से व्रती का व्रत आरंभ होता है, जो अगले दिन डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने तक चलता है।
  • डूबते सूर्य को अर्घ्य (27 अक्टूबर 2025): यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है जब व्रती शाम को नदी या तालाब के तट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह अनुष्ठान परिवार की समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति की कामना के लिए किया जाता है।
  • उगते सूर्य को अर्घ्य (28 अक्टूबर 2025): सप्तमी तिथि के दौरान, सूर्योदय के समय व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का अंतिम अनुष्ठान है जिसके बाद व्रती पारण करते हैं और व्रत का सफलतापूर्वक समापन होता है। 28 अक्टूबर की सुबह 07:59 तक षष्ठी तिथि समाप्त हो जाएगी, इसलिए सूर्योदय के समय ही यह अंतिम पूजा की जाती है।

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छठ पूजा 2025 की जानकारी प्राप्त करने के लिए आपका धन्यवाद! उम्मीद है कि छठ पूजा 2025 नहाय खाय की तारीख और महत्व आपको स्पष्ट हो गया होगा। यह पर्व परिवार के लिए खास होता है, और हम आशा करते हैं कि आपका यह पर्व मंगलमय हो।

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