अगर आप पिठोरी अमावस्या 2025 के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह एक बहुत ही खास मौका है जब भक्तगण माँ पार्वती और 64 योगिनियों की आराधना करते हैं। हर साल की तरह, इस बार भी 22 अगस्त को पिठोरी अमावस्या मनाई जाएगी, जो कि एक शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन की तिथि और पूजा का समय जानना बेहद महत्वपूर्ण होता है ताकि हम सही तरीके से पूजा अर्चना और दान-पुण्य कर सकें। खास बात यह है कि इस दिन का प्रदोष मुहूर्त पूजा के लिए बहुत ही शुभ होता है, जो शाम 6 बजकर 53 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक रहता है। इस समय भक्तगण अपने मनोकामना की पूर्ति के लिए विशेष पूजा करते हैं। पिठोरी अमावस्या ना केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह अपने साथ आस्था, शुद्धि और समृद्धि भी लेकर आता है। इसलिए इस दिन का सही उपयोग करना आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली ला सकता है। क्या आपने पूजा के सर्वश्रेष्ठ समय को ध्यान में रखा है? पिठोरी अमावस्या 2025 की पूरी तिथि और शुभ मुहूर्त जानने से आपको इस अवसर का सर्वोत्तम लाभ मिल सकता है। हम इस पावन दिन की महत्ता और पूजा के सही समय को लेकर आपके सारे सवालों का जवाब देंगे ताकि आप तैयार हो सकें इस खास दिन के लिए।
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पिठोरी अमावस्या 2025: 22 अगस्त को मनाई जाएगी, जानें तिथि और समय
हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, लेकिन पिठोरी अमावस्या अपनी विशेषता और आध्यात्मिक ऊर्जा के कारण और भी ज्यादा श्रद्धा से मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पावन त्योहार 22 अगस्त को आयोजित होगा। यह दिन माँ पार्वती और 64 योगिनियों की पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत शुभ समझा जाता है, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक यात्रा का महत्वपूर्ण मार्ग खोलता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस दिन की अमावस्या तिथि दिन में 11 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ होकर 23 अगस्त को सुबह 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। इसी कारण पूरे दिन को पिठोरी अमावस्या के रूप में माना जाता है और भक्त इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं।
पिठोरी अमावस्या के मौके पर प्रदोष मुहूर्त का भी बहुत महत्व होता है। यह मुहूर्त शाम 6 बजकर 53 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 6 मिनट तक रहता है, जिस दौरान भक्त माँ पार्वती एवं 64 योगिनियों की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। यह समय भक्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान श्रद्धालु सादगी और भक्तिभाव से देवी की आराधना करते हैं, तथा पूजा के बाद अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार दान भी करते हैं, जो पुण्य का कारण बनता है।
दिनभर की पंचांगिक महत्वपूर्ण समयावधियाँ इस प्रकार हैं:
- सूर्योदय: सुबह 5 बजकर 54 मिनट
- सूर्यास्त: शाम 6 बजकर 53 मिनट
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4 बजकर 26 मिनट से 4 बजकर 31 मिनट तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से 5 बजकर 10 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 6 बजकर 53 मिनट से 7 बजकर 15 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त: देर रात 12 बजकर 2 मिनट से 12 बजकर 16 मिनट तक
पिठोरी अमावस्या के इस पावन दिन स्नान, पूजा और दान को विशेष महत्व दिया जाता है। शुद्धि के लिए स्नान आवश्यक माना जाता है, जो शरीर और मन दोनों को स्वच्छ करता है। पूजा-अर्चना से मानसिक शांति मिलती है और दान से पुण्य की प्राप्ति होती है, जो जीवन में सुख-समृद्धि को बढ़ावा देता है। इस दिन की आध्यात्मिक ऊर्जा भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्रदान करती है। इसलिए, सभी भक्तगण इस अवसर का पूर्ण लाभ उठाकर मनोवांछित सिद्धि के लिए पूजा और दान करें।
इस प्रकार, 22 अगस्त 2025 का दिन आपके लिए आध्यात्मिक प्रगति और आशीर्वाद से परिपूर्ण होने वाला है। पूजा मुहूर्त का पालन करते हुए इस शुभ दिन को नित्यकर्म और श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए।
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Source: Drik Panchang
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पिठोरी अमावस्या स्नान-दान का शुभ मुहूर्त: 22 अगस्त को करें विशेष स्नान-दान
अमावस्या का दिन भारतीय धर्म और संस्कृति में अत्यंत पवित्र माना जाता है, विशेषकर भाद्रपद माह की अमावस्या। वर्ष 2025 में यह शुभ अवसर 22 अगस्त से प्रारंभ होकर आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत फलदायक साबित होगा। इस दिन को पिठोरी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, जिसमें स्नान और दान के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और कल्याण की कामना की जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 11 बजकर 55 मिनट दिन में शुरू होकर अगले दिन 23 अगस्त को 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। इस अवधि में स्नान-दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जो जीवन में सुख और समृद्धि लाने में सहायक होता है। Drik Panchang
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पिठोरी अमावस्या पर स्नान और पूजा करने का शुभ मुहूर्त
पिठोरी अमावस्या के दिन प्रदोष काल का विशेष महत्व होता है, जो शाम 06:53 बजे से रात 09:06 बजे तक रहता है। इस समयावधि में भक्त देवी मां पार्वती और 64 योगिनियों की पूजा करके अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं। यह काल धार्मिक क्रियाओं के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है, क्योंकि इसी समय स्नान और पूजा करने से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। पूजा के पश्चात अपने आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार दान करना भी शुभ होता है, जिससे धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है और सामाजिक कल्याण को प्रोत्साहन मिलता है। पूजा के लिए हल्दी, कपूर, पुष्प और दीपक का समावेशन अत्यंत आवश्यक माना जाता है। स्नान में पवित्र जल से मुंह और शरीर की स्वच्छता करे, जिससे आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त हो।
- प्रदोष मुहूर्त: शाम 06:53 से रात 09:06 तक
- 64 योगिनियों की पूजा एवं भक्ति का महत्व
- देवी मां पार्वती की आराधना
- पूजा के पश्चात दान करना शुभ रहता है
- पूजा हेतु सामग्री में हल्दी, कपूर, पुष्प एवं दीपक का समावेश
- स्नान करके पवित्र जल से मुंह और शरीर की स्वच्छता
Source: Panchang.com – Amavasya Muhurat
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पंचांग के अनुसार महत्वपूर्ण समय
पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों का सफल और समुचित आयोजन करने के लिए वैदिक पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्तों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। पिठोरी अमावस्या के दिन निम्नलिखित समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, जो आपकी साधना और दान कार्य को और भी फलदायक बना सकते हैं:
- सूर्योदय: सुबह 05:54 बजे
- सूर्यास्त: शाम 06:53 बजे
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:26 से 04:31 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01:47 से 05:10 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:53 से 07:15 बजे तक
- निशिता मुहूर्त: आधी रात 12:02 से 12:16 बजे तक
इन शुभ मुहूर्तों का ध्यान रखना आपके धार्मिक कर्तव्यों को सफल और फलदायक बना देता है। सही समय पर की गई साधना तथा दान से आपके जीवन में शांति और समृद्धि आती है। AstroSage Panchang
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स्नान-दान करने के आध्यात्मिक लाभ
पिठोरी अमावस्या के पावन दिन स्नान और दान से न केवल हमारे पापों का नाश होता है, बल्कि हमें मानसिक शांति और आत्मिक स्थिरता भी प्राप्त होती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो अपने जीवन से नकारात्मक प्रभावों को दूर करना चाहते हैं और ईश्वरीय आशीर्वाद पाना चाहते हैं। देवी पार्वती एवं 64 योगिनियों की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सौभाग्य बढ़ता है। साथ ही दान करना सामाजिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त करता है, जो धर्मशास्त्रों में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
- स्नान से शरीर और मन की पवित्रता
- पूजा से आध्यात्मिक उन्नति
- दान से पुण्य और सामाजिक सेवा
- कष्टों से मुक्ति और शुभकामनाओं की प्राप्ति
- शुभ मुहूर्त में किए गए कर्मों का अधिक फल
इसलिए इस पिठोरी अमावस्या, 22 अगस्त को निर्धारित शुभ काल में स्नान और दान करना न भूलें, और अपने जीवन को सुख, समृद्धि व शांति से भरें। Temple Purohit
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64 योगिनियों और माँ पार्वती की पूजा का विधान: जानें सही पूजा विधि और समय
हिन्दू धर्म में माँ पार्वती एवं 64 योगिनियों का पूजन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह पूजा आध्यात्मिक वृद्धि और जीवन में समृद्धि लाने का मार्ग खोलती है। इस पूजा में सही विधि और शुभ समय का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। वैदिक पंचांग के अनुसार, 22 अगस्त 2025 को दिन में 11 बजकर 55 मिनट पर भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि आरंभ होगी, जो 23 अगस्त 2025 को 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। इस अमावस्या तिथि को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है, जो माँ पार्वती एवं 64 योगिनियों की पूजा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
पिठोरी अमावस्या के दिन विशेषकर प्रदोष मुहूर्त (शाम 06:53 बजे से रात 09:06 बजे तक) में पूजा करना उत्तम रहता है। इस समय में भक्त अपनी सुविधा अनुसार माँ पार्वती एवं 64 योगिनियों के स्तुति गीतों और भक्ति में लीन हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, पूजा के पश्चात अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करना शुभ माना गया है, जिससे सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।
पूजा आरंभ करने से पहले घर की पूरी सफाई और शुद्धिकरण कर लेना चाहिए। पूजा स्थल पर लाल या पीली रंग की सतह चुनें और वहाँ माँ पार्वती व 64 योगिनियों की तस्वीरें या मूर्तियाँ स्थापित करें। ॐ पार्वती नमः का जाप करते हुए अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें। दीप प्रज्वलन, सफेद एवं लाल फूलों का अर्पण, अगरबत्ती जलाना और नैवेद्य चढ़ाना इस पूजन के आवश्यक अंग हैं।
पंचांग में उल्लेखित अन्य शुभ मुहूर्त जैसे ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 04:26 से 04:31 बजे तक) और विजय मुहूर्त (दोपहर 01:47 से 05:10 बजे तक) भी इस पूजा के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। यदि प्रदोष मुहूर्त में पूजा करना संभव न हो, तो इन समयों में भी पूजा की जा सकती है। साथ ही निशिता मुहूर्त (रात्रि 12:02 से 12:16 बजे तक) पर भी श्रद्धापूर्वक पूजा की परंपरा प्रचलित है। पढ़ें अधिक
- पिठोरी अमावस्या के दिन स्नान-दान करें, विशेषकर प्रदोष काल में
- माँ पार्वती और 64 योगिनियों की प्रतिमाओं की स्थापना करें
- पूजा के दौरान ॐ पार्वती नमः का जप करें
- सफेद और लाल फूल चढ़ाएं
- दीप प्रज्वलित करें और अगरबत्ती जलाएं
- नैवेद्य और प्रसाद चढ़ाएं
- पहनावा के बाद अपनी आर्थिक स्थिति अनुसार दान करें
- पूजा के लिए वैदिक पंचांग के शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें
समय का सही चुनाव और विधिपूर्वक पूजा करने से माँ पार्वती और 64 योगिनियों की कृपा जीवन पर बनी रहती है। इससे न केवल जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है, बल्कि बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है। इस पवित्र दिन श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायी सिद्ध होता है।
Source: kamakotimandali.com
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पिठोरी अमावस्या 2025 पंचांग: सूर्योदय, सूर्यास्त और अन्य महत्वपूर्ण मुहूर्त
पिठोरी अमावस्या भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला एक अत्यंत पावन और धार्मिक अवसर है। वर्ष 2025 में यह अमावस्या 22 अगस्त को दिन के 11 बजकर 55 मिनट पर प्रारंभ होकर 23 अगस्त को दिन के 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि इसकी तिथि का अधिकांश भाग 22 अगस्त को है, इसलिए पिठोरी अमावस्या इसी दिन मनाई जाएगी। इस शुभ दिन पर श्रद्धालु माँ पार्वती और 64 योगिनियों की उपासना, विशेष पूजा, पवित्र स्नान और दान-पुण्य कर अपनी भक्ति प्रगाढ़ करते हैं, जिससे आध्यात्मिक लाभ और कल्याण की प्राप्ति होती है।
Source: Drik Panchang
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पिठोरी अमावस्या स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
पिठोरी अमावस्या के दौरान स्नान और दान के लिए प्रदोष काल अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष यह शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। इस पावन समय में भक्त 64 योगिनियों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। इसी समय अपने सामर्थ्य अनुसार दान देना अत्यंत फलदायक होता है और पूजा के दौरान किया गया दान पुण्य अमावस्या के दिन विशेष लाभ देता है। यह समय आध्यात्मिक साधना और भक्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
Source: AstroSage
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पंचांग के अनुसार सूर्योदय और सूर्यास्त
- सूर्योदय : सुबह 05 बजकर 54 मिनट
- सूर्यास्त : शाम 06 बजकर 53 मिनट
पिठोरी अमावस्या के दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय से दिन के प्राकृतिक बदलाव और अनुकूल अवसरों को समझा जा सकता है। सूर्योदय के साथ नई ऊर्जा और दिन की शुरुआत होती है, जबकि सूर्यास्त के साथ सन्ध्या काल प्रारंभ होता है, जो पूजा और आरती के लिए उपयुक्त होता है। अपने अनुष्ठानों में इन समयों का ध्यान रखना धार्मिक क्रियाकलापों को अधिक प्रभावशाली बनाता है और शुभ फल प्रदान करता है।
Source: Time and Date
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विशेष मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04 बजकर 26 मिनट से 04 बजकर 31 मिनट तक – ध्यान, योग और पूजा हेतु उत्तम काल।
- विजय मुहूर्त : दोपहर 01 बजकर 47 मिनट से 05 बजकर 10 मिनट तक – अच्छे कार्यों की शुरुआत और शुभ निर्णय लेने का श्रेष्ठ समय।
- गोधूलि मुहूर्त : शाम 06 बजकर 53 मिनट से 07 बजकर 15 मिनट तक – शाम की पूजा, आरती एवं धार्मिक कार्यक्रमों के लिए शुभ मुहूर्त।
- निशिता मुहूर्त : मध्य रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 16 मिनट तक – अत्यंत शुभ एवं विशेष पूजा के लिए अनुकूल समय।
इन महत्वपूर्ण मुहूर्तों का ध्यान रखकर पूजा, उपवास और दान-धर्म के कार्य करने से पिठोरी अमावस्या का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। भक्तगण इन शुभ समयों का लाभ उठाकर अपने धार्मिक अनुष्ठानों को और प्रभावशाली एवं फलदायी बना सकते हैं।
Source: ProKerala
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आपका पिठोरी अमावस्या 2025, पिठोरी अमावस्या 22 अगस्त के शुभ मुहूर्त और पूजा के सही समय से जुड़ी जानकारी पढ़ने के लिए धन्यवाद! हमें आशा है कि यह लेख आपके लिए आध्यात्मिक सफर को और भी समृद्ध बनाने में सहायक होगा। इस खास दिन अपना समय ध्यानपूर्वक नियोजित करें और पूजा-अर्चना का भरपूर लाभ उठाएं। आपकी श्रद्धा और भक्ति से जीवन में खुशहाली आए।
### Sources
[Drik Panchang](https://www.drikpanchang.com/amavasya/amavasya-date-time.html)
[Panchang.com – Amavasya Muhurat](https://www.panchang.com/maha-amavasya-puja)
[AstroSage Panchang](https://www.astrosage.com/panchang)
[Temple Purohit](https://www.templepurohit.com/pithori-amavasya)
[Kamakoṭimandali](https://kamakotimandali.com/pitthori-amavasya-puja)
[Drik Panchang](https://www.drikpanchang.com)
[AstroSage](https://www.astrosage.com)
[Time and Date](https://www.timeanddate.com)
[ProKerala](https://www.prokerala.com)
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