पितृपक्ष 2025: जानें अगस्त से सर्वपितृ अमावस्या तक की 15 खास तारीखें

पितृपक्ष 2025: 15 खास तारीखें पितृपक्ष 2025 पितृपक्ष 2025 तिथियां सर्वपितृ अमावस्या 2025 अगस्त मुनि का तर्पण

पितृपक्ष 2025 के आगमन से ही एक खास भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा हमारे जीवन में महसूस होती है। यह वह समय होता है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्रद्धा प्रकट करते हैं। पितृपक्ष 2025 में अगस्त मुनि से लेकर सर्वपितृ अमावस्या तक कई महत्वपूर्ण तिथियां आती हैं, जो श्राद्ध और तर्पण जैसे अनुष्ठानों के लिए विशेष होती हैं। इन तिथियों के सही ज्ञान से न सिर्फ हम अपने परंपराओं के प्रति सचेत होते हैं, बल्कि यह हमें अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता और प्यार जताने का मौका भी देता है। पितृपक्ष में किए गए शुभ कर्म जीवन में सकारात्मकता और सुख शांति लेकर आते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि इन पावन दिनों में छोटे-छोटे नियमों और सावधानियों का कितना महत्व होता है, जो इस धार्मिक प्रक्रिया को सिद्ध बनाते हैं? तो चलिए, इस पावन पर्व के दौरान कब-कब कौन से दिन खास हैं और किन नियमों का पालन करना चाहिए, जानना आपके लिए बेहद उपयोगी रहेगा। पितृपक्ष 2025 के बारे में जानना आपको न केवल पूजा विधि में मदद करेगा, बल्कि परिवार में एकता और सद्भाव भी बढ़ाएगा।

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पितृपक्ष 2025: अगस्त मुनि से सर्वपितृ अमावस्या तक की प्रमुख तिथियां

पितृपक्ष का पावन पर्व हमारे पूर्वजों की यादों को संजोने और उनका आशीर्वाद पाने का एक शानदार अवसर है। यह विशेष समय भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस दौरान का पहला और महत्वपूर्ण दिन ‘अगस्त मुनि का तर्पण’ होता है, जो पितरों के प्रति समर्पित एक विशेष अनुष्ठान है। आइए, पितृपक्ष 2025 की महत्वपूर्ण तिथियों को जानें, ताकि हम अपने पितरों के प्रति अपने सम्मान और कर्तव्य को पूर्ण श्रद्धा के साथ निभा सकें।

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पितृपक्ष 2025 की प्रमुख तिथियां

  • पूर्णिमा तिथि श्राद्ध: रविवार, 7 सितंबर 2025
  • प्रतिपदा तिथि श्राद्ध: सोमवार, 8 सितंबर 2025
  • द्वितीया तिथि श्राद्ध: मंगलवार, 9 सितंबर 2025
  • तृतीया तिथि श्राद्ध / चतुर्थी तिथि श्राद्ध: बुधवार, 10 सितंबर 2025
  • भरणी तिथि और पंचमी तिथि श्राद्ध: गुरुवार, 11 सितंबर 2025
  • षष्ठी तिथि श्राद्ध: शुक्रवार, 12 सितंबर 2025
  • सप्तमी तिथि श्राद्ध: शनिवार, 13 सितंबर 2025
  • अष्टमी तिथि श्राद्ध: रविवार, 14 सितंबर 2025
  • नवमी तिथि श्राद्ध: सोमवार, 15 सितंबर 2025
  • दशमी तिथि श्राद्ध: मंगलवार, 16 सितंबर 2025
  • एकादशी तिथि श्राद्ध: बुधवार, 17 सितंबर 2025
  • द्वादशी तिथि श्राद्ध: गुरुवार, 18 सितंबर 2025
  • त्रयोदशी तिथि / मघा श्राद्ध: शुक्रवार, 19 सितंबर 2025
  • चतुर्दशी तिथि श्राद्ध: शनिवार, 20 सितंबर 2025
  • सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध: रविवार, 21 सितंबर 2025

पितृपक्ष के ये महत्वपूर्ण तिथियां 2025 में आपकी पूजा और श्राद्ध अनुष्ठान के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेंगी। हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है और इन पुनीत दिनों में किए गए तीर्थ और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति और आशीर्वाद मिलता है। इस समय का सही उपयोग कर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने की परंपरा को जीवित रखें।

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पितृपक्ष में रखें इन बातों का विशेष ख्याल

पितृपक्ष के दौरान, पूर्वजों के श्राद्ध का आयोजन उनके मृत्यु तिथि के अनुसार किया जाता है। यदि आपको अपने पितरों की विधिवत तिथियां ज्ञात नहीं है, तो आप सर्वपितृ अमावस्या को उनके लिए श्राद्ध कर सकते हैं। इस शुभ अवसर पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय भोजन बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही, ब्राह्मणों, कौओं, गायों, बिल्लियों और कुत्तों को भोजन अर्पित करने की परंपरा होती है, जिसे पंचबलि कहते हैं। श्राद्ध के दिन सबसे पहले तर्पण अनुष्ठान करना आवश्यक होता है। इसमें काले तिल, जौ और जल का उपयोग कर पितरों को अर्घ्य दिया जाता है। यह विधि पितरों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।

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पितृपक्ष 2025 की विस्तृत पंचांग: 7 सितंबर से 21 सितंबर तक

पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू कैलेंडर का एक बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण समय है, जो हमारे पितरों यानी पूर्वजों को समर्पित होता है। यह अवधि उन अनुष्ठानों और पूजा-पाठ का समय होता है, जिनके द्वारा हम अपने पूर्वजों की स्मृति में सम्मान व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए विशेष कर्म करते हैं। 2025 में, पितृपक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान, पितरों को जलार्पण जैसे विशिष्ट अनुष्ठानों के लिए शुभ तिथियां निर्धारित होती हैं, जिनका ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। आइए, पितृपक्ष 2025 की विस्तृत पंचांग को समझें, जिससे आप अपने पूर्वजों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा सकें।

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पितृपक्ष 2025 की प्रमुख तिथियां

पितृपक्ष का आरंभ पूरे चंद्र मास की पूर्णिमा तिथि से होता है और यह अमावस्या तिथि पर समाप्त होता है। इस पूरे अवधि में हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है, और उसी के अनुसार श्राद्ध अनुष्ठान किये जाते हैं। निम्नलिखित तिथियां पितृपक्ष 2025 के दौरान श्राद्ध के लिए महत्वपूर्ण रहेंगी:

  • पूर्णिमा तिथि श्राद्ध: रविवार, 7 सितंबर 2025 – पितृपक्ष का पहला दिन, जब पूर्णिमा पर श्राद्ध किया जाता है।
  • प्रतिपदा तिथि श्राद्ध: सोमवार, 8 सितंबर 2025 – प्रतिपदा तिथि पर श्राद्ध का आयोजन।
  • द्वितीया तिथि श्राद्ध: मंगलवार, 9 सितंबर 2025 को द्वितीया तिथि पर श्राद्ध किया जाएगा।
  • तृतीया एवं चतुर्थी तिथि श्राद्ध: बुधवार, 10 सितंबर 2025 को दोनों तिथियों का श्राद्ध एक साथ किया जाता है।
  • भरणी नक्षत्र और पंचमी तिथि श्राद्ध: गुरुवार, 11 सितंबर 2025 – यह तिथि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भरणी नक्षत्र और पंचमी तिथि के श्राद्ध एक साथ किये जाते हैं।
  • षष्ठी तिथि श्राद्ध: शुक्रवार, 12 सितंबर 2025 – षष्ठी तिथि का श्राद्ध।
  • सप्तमी तिथि श्राद्ध: शनिवार, 13 सितंबर 2025 – सप्तमी तिथि पर श्राद्ध।
  • अष्टमी तिथि श्राद्ध: रविवार, 14 सितंबर 2025 – अष्टमी तिथि का श्राद्ध।
  • नवमी तिथि श्राद्ध: सोमवार, 15 सितंबर 2025 – नवमी तिथि पर श्राद्ध।
  • दशमी तिथि श्राद्ध: मंगलवार, 16 सितंबर 2025 – दशमी तिथि का श्राद्ध।
  • एकादशी तिथि श्राद्ध: बुधवार, 17 सितंबर 2025 – एकादशी तिथि का श्राद्ध।
  • द्वादशी तिथि श्राद्ध: गुरुवार, 18 सितंबर 2025 – द्वादशी तिथि का श्राद्ध।
  • त्रयोदशी तिथि एवं मघा श्राद्ध: शुक्रवार, 19 सितंबर 2025 – त्रयोदशी तिथि और मघा नक्षत्र में श्राद्ध।
  • चतुर्दशी तिथि श्राद्ध: शनिवार, 20 सितंबर 2025 – विशेष रूप से उन पितरों के लिए जिनका देहांत दुर्घटना या अकाल मृत्यु के कारण हुआ हो।
  • सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध: रविवार, 21 सितंबर 2025 – इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि ज्ञात नहीं है या जो समय पर नहीं कर पाए।

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पितृपक्ष में ध्यान रखने योग्य बातें

पितृपक्ष के दौरान कुछ खास बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि हमारे पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का श्रेष्ठ माध्यम भी हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं, जिनका पालन पितृपक्ष में अवश्य करना चाहिए:

  • तिथि अनुसार श्राद्ध: पूर्वजों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि के आधार पर ही करना चाहिए। यदि मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करना सबसे उत्तम माना जाता है।
  • प्रिय भोजन: श्राद्ध के समय पितरों का जो भोजन पसंद था, उसे बनाकर और बड़े श्रद्धा से अर्पित करना चाहिए। इससे पितरों को प्रसन्नता मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पंचबलि: इस अनुष्ठान में ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ-साथ कौए, गाय, कुत्ते और बिल्ली को भी भोजन कराना आवश्यक होता है। इसे पंचबलि कहा जाता है और यह पितरों की तृप्ति के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है।
  • तर्पण: श्राद्ध कर्मों की शुरुआत तर्पण से होती है। तर्पण में काले तिल, जौ, कुशा और जल का प्रयोग किया जाता है, जिससे पूर्वजों को शांति मिलती है।

पितृपक्ष 2025, जो 7 सितंबर से 21 सितंबर तक रहेगा, हमारे पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का एक अनमोल अवसर है। इस दौरान निर्धारित तिथियों और विधान का पालन कर आप अपने पितरों को शांति एवं सद्गति प्रदान कर सकते हैं।

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पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण का महत्व: विशेष सावधानियां और नियम

पितृपक्ष का पर्व हमारे पूर्वजों की स्मृति में श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है। इस पावन समय में श्राद्ध और तर्पण जैसे अनुष्ठान पूरे श्रद्धा भाव से संपन्न किए जाते हैं, जो पितरों की आत्मा को शांति देने हेतु आवश्यक माने जाते हैं। इस दौरान ऐसा विश्वास है कि हमारे पितर हमारे बीच पृथ्वी पर आते हैं और उनके प्रति किए गए कर्मों का प्रतिफल प्राप्त करते हैं। इसलिए पितृपक्ष को अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके आशीर्वाद लेने का एक सुनहरा अवसर माना जाता है।

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पितृपक्ष 2025 की महत्वपूर्ण तिथियां

पितृपक्ष के दौरान प्रत्येक तिथि का अपना एक विशेष महत्व होता है, जिसके अनुसार श्राद्ध कर्म की विधि और समय निर्धारित होता है। वर्ष 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से पूर्णिमा तिथि के श्राद्ध के साथ हो रही है। इसके बाद आगामी दिनों में निम्नलिखित तिथियों पर श्राद्ध संपन्न होंगे:

  • पूर्णिमा तिथि श्राद्ध: रविवार, 7 सितंबर 2025
  • प्रतिपदा तिथि श्राद्ध: सोमवार, 8 सितंबर 2025
  • द्वितीया तिथि श्राद्ध: मंगलवार, 9 सितंबर 2025
  • तृतीया तिथि श्राद्ध \ चतुर्थी तिथि श्राद्ध: बुधवार, 10 सितंबर 2025
  • भरणी तिथि और पंचमी तिथि श्राद्ध: गुरुवार, 11 सितंबर 2025
  • षष्ठी तिथि श्राद्ध: शुक्रवार, 12 सितंबर 2025
  • सप्तमी तिथि श्राद्ध: शनिवार, 13 सितंबर 2025
  • अष्टमी तिथि श्राद्ध: रविवार, 14 सितंबर 2025
  • नवमी तिथि श्राद्ध: सोमवार, 15 सितंबर 2025
  • दशमी तिथि श्राद्ध: मंगलवार, 16 सितंबर 2025
  • एकादशी तिथि श्राद्ध: बुधवार, 17 सितंबर 2025
  • द्वादशी तिथि श्राद्ध: गुरुवार, 18 सितंबर 2025
  • त्रयोदशी तिथि/मघा श्राद्ध: शुक्रवार, 19 सितंबर 2025
  • चतुर्दशी तिथि श्राद्ध: शनिवार, 20 सितंबर 2025
  • सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध: रविवार, 21 सितंबर 2025

पितृपक्ष के पहले दिन, यानि पूर्णिमा को अगस्त मुनि का तर्पण और श्राद्ध करना परंपरा के अनुसार अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवसर पर श्राद्ध कर्म आरंभ करने से पूर्वजों को विशेष सम्मान मिलता है।

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श्राद्ध और तर्पण के नियम और सावधानियां

पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण करते समय विशेष सावधानियां एवं नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। श्राद्ध पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार किया जाता है, जहां इस दिन उनके प्रिय और सात्विक भोजन का आयोजन किया जाता है। इस अनुष्ठान में ब्राह्मणों के साथ-साथ कौए, गाय, बिल्ली और कुत्तों को भी भोजन कराना चाहिए जिसे ‘पंचबलि’ कहा जाता है, और इसे अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।

श्राद्ध कर्म की शुरुआत ‘तर्पण’ से होती है, जिसमें जल, काले तिल और जौ से पूर्वजों को अर्घ्य दिया जाता है। यह श्राद्ध का एक प्रमुख अंग है जो पितरों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करता है। इसे करते हुए शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। श्राद्ध के भोजन में केवल सात्विक भोजन ही दें और किसी भी प्रकार के तामसिक, भारी या बासी भोजन से बचें। माना जाता है कि इस दौरान घर में सात्विक वातावरण बनाये रखने से पूर्वजों को विश्राम और शांति प्राप्त होती है।

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Source: धर्म न्यूज़ – ABP News

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हमें उम्मीद है कि पितृपक्ष 2025 की ये खास तारीखें, अगस्त मुनि के तर्पण से लेकर सर्वपितृ अमावस्या तक, आपके लिए उपयोगी साबित होंगी। अपने पूर्वजों को याद करने और उनका आशीर्वाद पाने के इस पावन अवसर पर, इन तिथियों का ध्यान रखें।

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