23 अगस्त शनि अमावस्या: 1 उपाय से दूर होंगे सभी कष्ट!

शनि अमावस्या: 1 उपाय से दूर कष्ट

शनि अमावस्या 2025 हमारे जीवन में एक विशेष आध्यात्मिक अवसर लेकर आती है, जो हमें शनि देव की कृपा प्राप्त करने और अपने सभी कष्टों को दूर करने में मदद करती है। यह दिन न केवल शनि देव की पूजा का शुभ अवसर होता है, बल्कि हमारे जीवन में अनुशासन, धैर्य और कर्मठता लाने का भी संदेश देता है। 23 अगस्त 2025 को आने वाली शनि अमावस्या भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि से जुड़ी है, जो अपने विशेष अनुष्ठानों के लिए जानी जाती है। इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और शनि मंत्रों का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है। लोग इस दिन व्रत रखते हैं और दान-पुण्य करके अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करते हैं। शनि अमावस्या का धार्मिक और सामाजिक महत्व भी बहुत प्रगाढ़ है क्योंकि यह हमें अपने कर्मों के प्रति जागरूक करता है और जीवन में सुधार के लिए प्रेरित करता है। यदि आप चाहते हैं कि आपकी परेशानियां खत्म हों और जीवन में स्थिरता और सफलता आए, तो इस दिन के शुभ मुहूर्त और अनुष्ठानों का पालन करना अत्यंत लाभकारी है। शनि देव की मृदु कृपा पाने के लिए इस दिन विशेष उपाय करें और अपने मन का संबल बढ़ाएं।

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23 अगस्त 2025: शनि अमावावस्या का शुभ मुहूर्त और महत्व

अमावस्या का दिन सदियों से धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। जब यह अमावस्या शनि ग्रह से जुड़ी होती है, तो इसका प्रभाव और भी गहरा एवं विशेष माना जाता है। इस वर्ष की शनि अमावस्या 22 अगस्त 2025 की सुबह 11:55 बजे से प्रारंभ होकर 23 अगस्त 2025 की सुबह 11:35 बजे तक रहेगी। यह भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि है, जो अपने विशिष्ट अनुष्ठान और धार्मिक विधियों के कारण लोकप्रिय है।

इस शनि अमावस्या के दिन विशेषत: सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि पीपल का वृक्ष शनि देवता का अत्यंत प्रिय है, अतः उनके प्रति श्रद्धा प्रस्तावित करने हेतु इस समय उनका पूजन करना फलदायक होता है। कई भक्त इस अवसर पर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर शनि देव की कृपा प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

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शनि अमावस्या का धार्मिक महत्व

शनि अमावस्या को शनि देव की शांति और प्रसन्नता के लिए विशेष महत्व दिया जाता है। शनि ग्रह की धीमी गति एवं कड़क न्याय के कारण लोगों में अक्सर शनि दोष का भय बना रहता है। इस दिन की पूजा-अर्चना से शनि के अशांत प्रभावों को कम करने और उनके क्रोध को शांत करने में सहायता मिलती है।

  • शनि अमावस्या के दिन विशेष व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की परेशानियां एवं कष्ट घटते हैं।
  • शनि देव की उपासना से कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और बाधाएं दूर होती हैं।
  • इस दिन तिल, सरसों के बीज और काले वस्त्र दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शनि देव की प्रसन्नता का कारण बनता है।
  • शनि अमावस्या के दिन शनि मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ होता है।

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Source: Typing Baba

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शुभ मुहूर्त और अनुष्ठान

शनि अमावस्या के शुभ मुहूर्त को जानना अत्यंत आवश्यक होता है ताकि पूजा-अर्चना और दान-पुण्य का फल अधिकतम लाभकारी हो सके। इस वर्ष का शुभ काल नीचे दिया गया है:

  • अमावस्या प्रारंभ: 22 अगस्त 2025, सुबह 11:55 बजे
  • अमावस्या समाप्ति: 23 अगस्त 2025, सुबह 11:35 बजे
  • सूर्यास्त के बाद — विशेष रूप से पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शुभ कार्य माना जाता है।
  • शनि योग में व्रत और दान करने का अत्यंत महत्व होता है।

शनि अमावस्या शुभ मुहूर्त

Source: AstroSage

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शनि अमावस्या पर क्या करें?

शनि अमावस्या का दिन शनि देव की पूजा और उनसे संबंधित परंपराओं को निभाने के लिए उत्तम अवसर है। इस दिन कुछ प्रमुख क्रियाएं निम्नलिखित हैं:

  • पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं।
  • शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का निरंतर जाप करें।
  • काले तिल, उड़द, तथा सरसों दान करें।
  • अपने जीवन में अनुशासन और परिश्रम को अपनाएं, क्योंकि शनि ग्रह न्याय का प्रतीक है।
  • व्रत रखें और पूरे दिन शनि देव की प्रसन्नता हेतु ध्यान और प्रार्थना करें।
  • अमावस्या की रात शनि मंदिर जाकर विशेष पूजा भी की जा सकती है।

शनि अमावस्या के उपाय

Source: Jagran Josh

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शनि अमावस्या का सामाजिक और आध्यात्मिक प्रभाव

शनि अमावस्या केवल पूजा का दिन नहीं, बल्कि यह आत्मनिरीक्षण और जीवन सुधार के लिए भी एक उत्तम अवसर प्रस्तुत करता है। शनि के कठोर नियमों को समझकर हम जीवन में सत्य, अनुशासन और धैर्य का महत्व सीखते हैं। यह दिन हमें अपने कर्मों का मूल्यांकन करने और नए संकल्प लेने के लिए प्रेरित करता है।

  • यह दिवस हमें हमारे छोटे-बड़े कर्मों की जिम्मेदारी समझाता है।
  • धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मानसिक शांति का अनुभव होता है।
  • शनि अमावस्या से जुड़ी परंपराएं समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।
  • इस दिन परिवार के साथ मिलकर पूजा करने से पारिवारिक बंधन भी मजबूत होते हैं।

धार्मिक और आध्यात्मिक पहलू

Source: Ganesha Speaks

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संक्षेप में, 23 अगस्त 2025 की शनि अमावस्या एक अत्यंत पवित्र अवसर है जो हमारे जीवन में शनि देव की शांति एवं आशीर्वाद लेकर आता है। इस दिन के शुभ मुहूर्त और पारंपरिक अनुष्ठानों का पालन कर हम शनि दोष से बच सकते हैं तथा जीवन में स्थिरता, सफलता और प्रगति भी सुनिश्चित कर सकते हैं। अतः शनि अमावावस्या के पावन दिन अपने कर्मों की समीक्षा करके श्रद्धा और भक्ति के साथ अनुष्ठान करना अत्यंत फलदायक सिद्ध होता है।

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शनि अमावस्या पर करें पीपल के नीचे दीपक जलाने का महा उपाय

क्या आपने कभी सोचा है कि प्रकृति के चक्र और ग्रहों की चाल हमारे जीवन में किस तरह शुभ बदलाव ला सकती है? खासकर शनि अमावस्या का दिन अपनी विशेषता और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि, जब सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने का पवित्र कार्य किया जाता है, तो यह उपाय जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लेकर आता है।

इस वर्ष शनि अमावस्या 2025 22 अगस्त की सुबह 11:55 बजे से शुरू होकर 23 अगस्त की सुबह 11:35 बजे तक रहेगी। इस अवधि में पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना अति शुभ माना जाता है। यह दिन अपनी विशेषता के कारण शनिदेव की कृपा पाने का सर्वोत्तम समय होता है।

पीपल का पेड़ हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है। यह जीवन शक्ति, स्वास्थ्य और शुभ ऊर्जा का प्रतीक है। शनि देव के कष्टकारी प्रभाव को कम करने के लिए इस दिन पीपल के नीचे दीपक जलाना अत्यंत लाभकारी उपाय है।

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शनि अमावस्या के दिन पीपल के नीचे दीपक जलाने का महत्व

शास्त्रों में बताया गया है कि शनि अमावस्या के दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इससे जीवन में आने वाली बाधाएं, परेशानियां और संकट दूर होते हैं। यह उपाय मानसिक शांति प्रदान करता है और व्यक्ति के व्यावसायिक जीवन में उन्नति लाता है।

  • पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना पृथ्वी से जुड़ी सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय करता है।
  • सरसों के तेल का दीपक शनि ग्रह की कठोर ऊर्जा को शमन करता है।
  • यह उपाय काले ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।
  • दीपक जलाने से पुराने कर्ज और भय से मुक्ति मिलती है।
  • परिवार में सुख-शांति बनी रहती है एवं मनोबल में वृद्धि होती है।

Source: Art of Living

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कैसे करें यह उपाय?

शनि अमावस्या के दिन, विशेषकर सूर्यास्त के बाद, गहरी श्रद्धा और शांति के साथ पीपल के पेड़ के नीचे जाएं। एक साफ थाली में सरसों के तेल का दीपक रखें और इसे नीले या काले वस्त्र के पास जलाएं। दीपक जलाते हुए शनिदेव की पूजा करें और मन में अपने दुखों और परेशानियों को छोड़ने का संकल्प लें।

  • दीपक जलाने से पहले स्थान और शरीर को अच्छी तरह साफ करें।
  • सिर्फ सरसों के तेल का दीपक इस्तेमाल करें क्योंकि यह शनि के लिए सबसे शुभ होता है।
  • दीपक को बिना बुझाए साथ लेकर घर वापस जाएं या खुद ही बुझाएं, इसे मिट्टी या नदी में न डालें।
  • दीपक जलाते समय शनि मंत्र जैसे “ऊं शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें।
  • अमावस्या की ऊर्जा के साथ शिव या शनिदेव की मूर्ति के सामने भी दीपक रखा जा सकता है।

Source: Shrinathji

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कोन से फल मिलते हैं इस उपाय से?

शनि अमावस्या पर पीपल के नीचे दीपक जलाने से जीवन के विभिन्न पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है — चाहे वह धन, स्वास्थ्य हो या मानसिक शांति। यह उपाय उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं से जूझ रहे हैं। शनिदेव की कृपा से अपराधों का नाश होता है और विद्या, कर्म और भाग्य मजबूत होते हैं। इसके अलावा, यह उपाय वास्तु दोष और काले ग्रहों की नेगेटिव एनर्जी को भी कम करता है।

  • मन के तनाव और मानसिक दबावों से छुटकारा मिलता है।
  • आर्थिक संकट और पैसों की हानि कम होती है।
  • विवाद और अपराधों से सुरक्षा मिलती है।
  • घर में शांति, प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
  • कार्यस्थल पर सफलता और सम्मान में वृद्धि होती है।

Source: Astrosage

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अंतिम सलाह और सावधानियां

शनि अमावस्या पर दीपक जलाना मात्र एक पूजा कार्य नहीं है, बल्कि दान-धर्म और अन्य शनि संबंधित कर्तव्यों का पालन भी अति महत्वपूर्ण है। जरूरतमंदों को दया भाव से सरसों का तेल, काले वस्त्र और काले चने दान करना शुभ माना जाता है। पूजा करते समय मन में सकारात्मक भाव बनाए रखें और पूर्ण श्रद्धा के साथ आराधना करें।

  • दीपक जलाते समय आसपास के लोगों को इसके महत्व के बारे में अवगत कराएं।
  • शनि अमावस्या के बाद भी पीपल के पेड़ का सम्मान बनाए रखें।
  • जलती हुई लौ को सावधानीपूर्वक संभालें ताकि कोई दुर्घटना न हो।
  • पूजा को केवल धार्मिक कर्म न समझकर इसे अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली क्रिया बनाएं।

Source: ISKCON News

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इस प्रकार, शनि अमावस्या 2025 के 22 से 23 अगस्त की अमावस्या तिथि में पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना ना केवल एक सरल परंपरा है, बल्कि यह जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि लाने वाला एक महान उपाय है। इस दिव्य साधन को अपनाएं और अपने जीवन की कठिनाइयों और दोषों से मुक्ति पाएं।

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शनि अमावस्या पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पाएं कष्टों से मुक्ति

अमावस्या की रात जब चारों तरफ अंधेरा छा जाता है, तब कुछ विशेष धार्मिक उपायों से हमारे जीवन में उजाला और सकारात्मक ऊर्जा आती है। शनि अमावस्या एक पावन दिन होता है जिसमें शनिदेव की पूजा और विशेष उपायों से उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है। इस वर्ष 22 अगस्त 2025 सुबह 11:55 बजे से 23 अगस्त 2025 सुबह 11:35 बजे तक अमावस्या तिथि रहेगी। इस दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह परंपरा न केवल पुराने कष्टों से मुक्ति दिलाती है, बल्कि जीवन में नए अवसर और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है।

शनि ग्रह को न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है जो कर्म के अनुसार फल देता है। इसके शुभ या अशुभ प्रभाव से हमारा जीवन प्रभावित होता है। शनि अमावस्या के दिन यदि उचित विधि से पूजा और उपाय किए जाएं, तो यह ग्रह हमारे दोष कम कर सुख, शांति और समृद्धि लाता है। सरसों के तेल का दीपक जलाने की रीति इस आस्था पर आधारित है कि दीपक से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।

Source: Jagran Josh

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शनि अमावस्या का महत्व और तिथि

भाद्रपद मास की अमावस्या को शनि अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यह दिन हजारों श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह शनि देव की उपासना का विशेष अवसर है। कार्तिक मास के शनि संक्रांति के बाद आने वाली यह तिथि, शनि की कृपा पाने के लिए किए जाने वाले उपायों को विशेष महत्व देती है।

  • अमावस्या तिथि: 22 अगस्त 2025 सुबह 11:55 बजे से 23 अगस्त 2025 सुबह 11:35 बजे तक
  • स्थान: सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना शुभ
  • दीपक के लिए केवल सरसों का तेल उपयोग करें
  • पूजा के दौरान विशेष शनि मंत्रों का उच्चारण आवश्यक
  • शनि अमावस्या पर दान करने से कर्म शुद्ध होते हैं

Source: Typing Baba

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सरसों के तेल का दीपक जलाने का आध्यात्मिक महत्व

सरसों का तेल एक ऐसा पदार्थ माना जाता है जिसमें नकारात्मक उर्जा नष्ट करने और सकारात्मक उर्जा का संचार करने की शक्ति होती है। जब इस तेल का दीपक खासतौर पर पीपल के पेड़ के नीचे जलाया जाता है, तो शनि ग्रह से जुड़े नकारात्मक ग्रह दोष कम होते हैं। दीपक की जलती हुई लौ जीवन से कष्टों को दूर कर मानसिक शांति का संकेत होती है।

  • सरसों के तेल की लौ अंधकार को दूर करती है
  • शनि की कृपा पाने के लिए यह सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है
  • पीपल का पेड़ शनि देवताओं का आवास माना जाता है
  • दीपक जलाने से मानसिक तनाव और भय कम होते हैं
  • सरल और प्रभावी उपाय जिसे हर कोई कर सकता है

Source: AstroSage

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कैसे करें शनि अमावस्या पर सरसों तेल का दीपक जलाना?

शनि अमावस्या के दिन व्रत और पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए। सूर्यास्त के बाद जब आस-पास अंधेरा गहरा हो, तब पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही, शनिदेव के मंत्र या प्रार्थना का उच्चारण करें। दीपक को श्रद्धा और पूर्ण निष्ठा से जलाना चाहिए ताकि शनि की कृपा प्राप्त हो और जीवन में स्थिरता और संतुलन बना रहे।

  • दीपक संध्या समय या सूर्यास्त के बाद जलाएं
  • सरसों के तेल का प्रयोग अनिवार्य है
  • दीपक पीपल के पेड़ के नीचे रखें
  • शनि मंत्र का जाप करें: “ॐ शं शनैश्चराय नमः”
  • दीपक जलाते समय नकारात्मक विचारों को अपने मन से दूर रखें
  • पूजन के बाद दान करें; काली उड़द, काले वस्त्र या तिल विशेष रूप से शुभ
  • पूजा समाप्ति के बाद बचा हुआ तेल शनि मंदिर में चढ़ाएं या पेड़ की जड़ में डालें

Source: Ganesha Speaks

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शनि अमावस्या पर अन्य विशेष उपाय

सरसों के तेल के दीपक के अलावा, शनि अमावस्या पर कई अन्य उपाय भी किए जाते हैं ताकि शनि के प्रभाव से बचा जा सके। दान-पुण्य विशेष रूप से इस दिन शुभ होता है और व्रत रखने से शनि की कठोरता कम होती है। यदि बच्चों की पढ़ाई में बाधा आ रही हो या व्यवसाय में अड़चन हो, तो शनि अमावस्या के ये उपाय उपयोगी हो सकते हैं।

  • काले तिल, उड़द दाल या सरसों के दानों का दान करें
  • शनि देव को काले वस्त्र अर्पित करें
  • शनि मंत्र का नियमित जाप करें
  • मंदिर में जल चढ़ाएं और अपनी व्यथा व्यक्त करें
  • अपने कर्मों का सुधार करें और नकारात्मकता से दूर रहें

Source: Speaking Tree

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तो इस 22 अगस्त 2025 से 23 अगस्त 2025 की शनि अमावस्या पर सरसों के तेल का दीपक जलाना न भूलें। पीपल के पेड़ के नीचे इस सरल और प्रभावशाली उपाय से अपने जीवन के कष्ट दूर कर सुख-समृद्धि का द्वार खोलें। शनिदेव की कृपा पाने के लिए श्रद्धा और विश्वास सबसे बड़ी ताकत है। इस दिन का महत्व समझें और अपने जीवन में ऊर्जा का संचार करें।

Source: AstroSage

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Thank you so much for reading our detailed guide on the significance and powerful उपाय of 23 अगस्त शनि अमावस्या. Embracing this auspicious day with the simple yet potent practice of lighting a दीपक under the पीपल tree can truly dissolve कष्ट and invite शनि देव की कृपा into your life. We hope शनि अमावस्या 2025 inspires you to seek peace, discipline, and positivity. Keep the faith and stay blessed!

 

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