अजा एकादशी 2025 का आगमन हमारे लिए एक बेहद शुभ और महत्वपूर्ण अवसर लेकर आया है। अजा एकादशी व्रत, जो भगवान विष्णु के उपेंद्र स्वरूप को समर्पित है, हमारे जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने का विशेष माध्यम माना जाता है। खासतौर पर इस दिन दीपक जलाने का विधान हमारे घरों में माँ लक्ष्मी का वास करने का प्रतीक है, जो आर्थिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की उन्नति के द्वार खोलता है। अजा एकादशी व्रत के पीछे जो आध्यात्मिक ऊर्जा छिपी है, वह न केवल हमारे मनोकामनाओं की पूर्ति करता है बल्कि पापों की क्षमा और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि इस एकादशी पर दीपक कहाँ और कैसे जलाएं ताकि माँ लक्ष्मी का आप के घर में स्थायी वास हो, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। चलिए, इस पावन दिन की पूजा विधि, दीपक जलाने के शुभ स्थान और इससे मिलने वाले लाभों के बारे में विस्तार से जानते हैं ताकि आप भी अजा एकादशी 2025 का लाभ पूर्ण रूप से उठा सकें।
Table of Contents
- अजा एकादशी 2025: व्रत का महत्व और पूजा विधि
- अजा एकादशी पर कहां जलाएं दीपक, मां लक्ष्मी का घर में होगा वास
- दीपक जलाने के शुभ स्थान और उनसे मिलने वाले लाभ
अजा एकादशी 2025: व्रत का महत्व और पूजा विधि
हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में दो एकादशी आती हैं, जिनका धार्मिक अनुष्ठान से विशेष महत्व होता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2025 में, अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त 2025 को पूर्ण श्रद्धा के साथ माना जाएगा। यह व्रत भगवान विष्णु के उपेंद्र रूप को समर्पित होता है और इसकी मान्यता बड़ी गहरी है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन व्रत रखकर और पूजा विधि अनुसार उपासना करने से व्यक्ति की सभी शुभ मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जिनका वह लंबे समय से इंतजार कर रहा होता है। अजा एकादशी को अन्नदा एकादशी भी कहा जाता है, जो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के ठीक बाद आती है, इसलिए यह दिन अत्यंत खास समझा जाता है।
Source: Drik Panchang
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अजा एकादशी के व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व केवल मनोकामना पूर्त करने तक सीमित नहीं है। यह व्रत व्यक्ति को मोक्ष मार्ग पर अग्रसर करने वाला भी माना जाता है। अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की सजीव पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी कष्ट और बाधाएं दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि का शुभ आगमन होता है। ऐसा कहा जाता है कि जो श्रद्धा एवं भक्ति से इस व्रत का पालन करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ के समान अनंत फल प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे उसकी आत्मा को उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि अजा एकादशी का व्रत भक्ति और श्रद्धा के साथ किया जाना अत्यावश्यक है।
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अजा एकादशी पर दीपक जलाने का विधान
अजा एकादशी के पावन अवसर पर दीपक जलाने का भी विशेष महत्व है। कई स्थानों पर यह परंपरा प्रचलित है कि इस दिन दीपक जलाने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और मां लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है। इस शुभ दिन दीपक प्रज्ज्वलित कर धार्मिक अनुष्ठान करने से घर परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है। नीचे कुछ ऐसे महत्वपूर्ण स्थान दिए गए हैं जहां दीपक जलाना विशेष फलदायी माना जाता है:
- मुख्य द्वार पर दीपक: अजा एकादशी के दिन घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ होता है। यह कार्य घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे सम्पूर्ण परिवार में सुख-शांति का वातावरण बनता है और समृद्धि आती है।
- तुलसी के पौधे के पास दीपक: शाम के समय तुलसी के पौधे के समीप दीपक जलाना अति महत्वपूर्ण है। इसके साथ ‘ॐ श्रीं तुलस्यै नमः’ मंत्र का 11 या 108 बार जाप करने से धन-धान्य की वर्षा होती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाती हैं। तुलसी की पूजा से आर्थिक स्थिति भी दृढ़ होती है।
- पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक: अजा एकादशी की रात्रि में पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है एवं कुंडली में विद्यमान विभिन्न दोष दूर होते हैं। ऐसा माना जाता है कि पीपल वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए यह उपाय अत्यंत फलदायी है।
इन उपायों को अजा एकादशी के दिन करने से न केवल भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, बल्कि जीवन के दुःख-दर्द भी समाप्त होते हैं। साथ ही यह व्रत व्यक्ति के समस्त बिगड़े हुए कार्यों को सवारने में मदद करता है और उसे सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।
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अजा एकादशी पर कहां जलाएं दीपक, मां लक्ष्मी का घर में होगा वास
19 अगस्त 2025 को आने वाली अजा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के उपेंद्र स्वरूप की पूजा के लिए अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एकादशी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद आती है और अन्नदा एकादशी के नाम से भी प्रसिद्ध है, जो भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ मानी जाती है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति वे सभी इच्छाएं पूरी कर सकता है, जिनकी वह लंबे समय से कामना करता है। इस पावन अवसर पर श्रीहरि की पूजा के साथ-साथ घर के कुछ विशेष स्थानों पर दीपक जलाने का चलन है, जिससे मां लक्ष्मी के घर में वास का मार्ग प्रशस्त होता है। ये उपाय घर में सकारात्मक ऊर्जा, आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति को बढ़ावा देते हैं।
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अजा एकादशी पर दीपक जलाने के शुभ स्थान
अजा एकादशी का दिन विशेष रूप से घर में सुख-समृद्धि लाने वाला माना जाता है। इस दिन घी के दीपक को कुछ निश्चित स्थानों पर जलाना बेहद शुभ है, क्योंकि इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनके स्थायी वास से घर में धन-धान्य और सुख-शांति का संचार होता है। ये स्थान घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करते हैं और नकारात्मकता को दूर करते हैं।
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मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं
घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाना अजा एकादशी पर अत्यंत शुभ माना जाता है। यह न केवल घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, बल्कि नकारात्मक शक्तियों को भी बाहर रखता है। मुख्य द्वार पर जलाया गया दीपक घर में समृद्धि और शांति लेकर आता है तथा परिवार के सदस्यों के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने में सहायता करता है।
- दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है।
- यह नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोकता है।
- परिवार में सामंजस्य और प्रेम की भावना मजबूत होती है।
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तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं
अजा एकादशी की शाम को तुलसी के पौधे के निकट दीपक जलाना अत्यंत फलदायक माना गया है। तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है और इस पौधे के पास दीपक जलाने से देवी की कृपा प्रबल होती है। इस अवसर पर ‘ॐ श्रीं तुलस्यै नमः’ मंत्र का 11 या 108 बार जाप कर भक्ति और समृद्धि दोनों प्राप्त की जा सकती हैं।
- तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और मंत्र जाप करें।
- यह उपाय आर्थिक समस्याओं को दूर करता है एवं धन-धान्य की वृद्धि करता है।
- मां लक्ष्मी की असीम कृपा पाने का सरल और प्रभावी तरीका है।
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पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं
शास्त्रों में कहा गया है कि पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। अतः अजा एकादशी की रात को पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। यह क्रिया पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करती है, साथ ही आपकी कुंडली में छिपे दोषों को समाप्त करने में मदद करती है। इसके अतिरिक्त, यह कार्य आपके जीवन में सौभाग्य और खुशहाली का संचार करता है।
- पीपल के नीचे दीपक जलाने से पितरों को शांतिप्रदान होता है।
- यह आपके ज्योतिष दोषों से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
- जीवन में शुभता और समृद्धि का आगमन होता है।
इन उपायों को अपनाकर अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है, जिससे आपके घर में धन, सुख और समृद्धि का स्थाई वास होगा।
Source: Drik Panchang (Online Almanac)
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दीपक जलाने के शुभ स्थान और उनसे मिलने वाले लाभ
अजा एकादशी का पर्व, जो 19 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा, भगवान विष्णु के उपेंद्र स्वरूप की आराधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह एकादशी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के बाद आती है और इसे अन्नदा एकादशी भी कहा जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन व्रत रखकर और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से लंबे समय से संजोई गई मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस पावन अवसर पर विशेष स्थानों पर दीपक जलाना घर में सुख-संपत्ति और धन-धान्य के आगमन का मार्ग प्रशस्त करता है। कहा जाता है कि इन स्थानों पर जलाए गए दीपक माँ लक्ष्मी को विशेष आमंत्रण देते हैं। आइए जानते हैं कि अजा एकादशी पर कौन-कौन से शुभ स्थान हैं जहाँ दीपक जलाकर हम अपने जीवन में खुशहाली प्राप्त कर सकते हैं।
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मुख्य द्वार पर दीपक जलाना
शुभ अवसरों पर घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। अजा एकादशी के दिन विशेषतः घी का दीपक मुख्य द्वार पर जलाना घर के माहौल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर के सभी द्वार खुल जाते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि एवं शांति का आगमन होता है। यह नकारात्मक बाहरी शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करता है और पूरे घर को पवित्र और स्वच्छ बनाता है।
- घी का दीपक घर के मुख्य द्वार पर जलाएं।
- यह शुभ ऊर्जा फैलाता है।
- जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
- घर के सभी द्वार खुले होते हैं।
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तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना
हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे माँ लक्ष्मी का रूप कहा जाता है। अजा एकादशी की शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना और ‘ॐ श्रीं तुलस्यै नमः’ मंत्र का 11 या 108 बार जाप करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। ऐसा करने से घरेलू वातावरण में मां लक्ष्मी का वास होता है और धन-धान्य की वृद्धि होती है। तुलसी की पूजा से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की आर्थिक प्रगति के मार्ग खुलते हैं।
- शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं।
- ‘ॐ श्रीं तुलस्यै नमः’ मंत्र का जाप करें।
- यह देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करता है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार और समृद्धि होती है।
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पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना
पीपल का वृक्ष देव वृक्ष माना जाता है और इसे भगवान विष्णु का आवास समझा जाता है। अजा एकादशी की रात को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से पितरों को शांति मिलती है और कुंडली में मौजूद दोष दूर होते हैं। यह एक अभ्यास है जो सांसारिक समस्याओं के साथ-साथ आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करता है। इससे जीवन की बाधाएं कम होती हैं और मार्ग सुगम होता है।
- अजा एकादशी की रात पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं।
- यह भगवान विष्णु का वास स्थान माना जाता है।
- पितरों को शांति मिलती है।
- कुंडली के दोष दूर होते हैं।
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We hope this information about अजा एकादशी 2025 and the auspicious places to light a दीपक जलाने का विधान proves helpful! May your अजा एकादशी व्रत be blessed, bringing the grace of माँ लक्ष्मी and prosperity into your home. We appreciate you taking the time to read and learn with us. Happy observing!
Sources
Drik Panchang – Drik Panchang
Drik Panchang – Drik Panchang (Online Almanac)
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