परिवर्तिनी एकादशी 2025 का पर्व वास्तव में एक अद्भुत अवसर लेकर आता है, खासकर जब यह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की मोक्षदायिनी तिथि के साथ जुड़ा हो। यह दिन सिर्फ व्रत और पूजा का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और पापों से मुक्ति का एक अनोखा रास्ता भी है। जब हम परिवर्तिनी एकादशी के महत्व को समझते हैं, तो यह पता चलता है कि यह व्रत भगवान विष्णु के वामन अवतार की याद दिलाता है, जिन्होंने हमें उसी समय घटित हुई महान कृपा की कहानी सुनाई है। भाद्रपद मास के इस शुभ दिन पर किया गया व्रत न केवल हमारे कर्मों को शुद्ध करता है, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति का द्वार भी खोलता है। इस एकादशी की खासियत ये है कि इस दिन भगवान विष्णु शयन मुद्रा में करवट बदलते हैं, जो एक दिव्य मान्यता से जुड़ा हुआ है। 9 मार्च 2025 के इस पावन दिन को मनाने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक बल का वास होता है। परिवर्तिनी एकादशी 2025 को लेकर उत्साह और श्रद्धा का ऐसा मेल होता है जो हर भक्त को अपने भीतर से गहराई से जोड़ता है। यदि आपने कभी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की इस मोक्षदायिनी तिथि पर व्रत का महत्व सुना है, तो इस बार इसे अपने जीवन में जरूर आत्मसात करें और इस पावन अवसर का पूरा लाभ उठाएं।
Table of Contents
- परिवर्तिनी एकादशी: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की मोक्षदायिनी तिथि का महत्व
- परिवर्तिनी एकादशी व्रत: आज का शुभ मुहूर्त और पारण विधि
- पारण 4 सितम्बर दोपहर 1:36 से 4:07 बजे तक: एकादशी व्रत का फल
परिवर्तिनी एकादशी: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की मोक्षदायिनी तिथि का महत्व
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली परिवर्तिनी एकादशी हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। इसे मोक्षदायिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन का व्रत भगवान विष्णु की दिव्य कृपा का स्रोत होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होकर जीवन में मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। इस वर्ष यह पवित्र व्रत 9 मार्च 2025 को रखा जाएगा। यह दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित है, जिन्होंने राजा बलि के अभिमान को निरस्त कर तीनों लोकों में धर्म और सत्य की स्थापना की।
परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व इस बात से भी जुड़ा है कि इस दिन भगवान विष्णु शयन मुद्रा में करवट बदलते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया व्रत और पूजा, अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्रदान करता है। इस पुण्यदायक व्रत का पारण 4 सितम्बर, दोपहर 1:36 बजे से 4:07 बजे तक किया जाता है। इस दौरान भक्तजन निर्जल या फलाहार का पालन करते हुए भगवान विष्णु की आराधना और एकादशी कथा का श्रवण करते हैं। रात्रि में जागरण का आयोजन भी किया जाता है, जिससे पुण्य की मात्रा और अधिक बढ़ जाती है।
इस दिव्य अवसर पर, भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। श्रद्धालु अपने घरों में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर पंचामृत से स्नान कराते हैं, उसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य आदि से विधिपूर्वक पूजा करते हैं। तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं, अतः पूजा में तुलसी का उपयोग अनिवार्य होता है। कथा में वर्णित है कि जो भी भक्त निष्ठापूर्वक और श्रद्धापूर्वक इस एकादशी का व्रत करता है, वह भगवान विष्णु के प्रसाद से सभी दुखों और बाधाओं से मुक्त होकर उनके परम धाम को प्राप्त होता है।
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परिवर्तिनी एकादशी व्रत: आज का शुभ मुहूर्त और पारण विधि
आज, 4 सितम्बर 2025 को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की परिवर्तिनी एकादशी का व्रत बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ रखा जा रहा है। यह एकादशी अपने गूढ़ धार्मिक महत्व के कारण ‘पद्मा एकादशी’ या ‘जलंधर एकादशी’ के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की विशेष पूजा होती है, जिसे करने से वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलने की मान्यता है। यह व्रत आध्यात्मिक शुद्धि और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक उत्तम अवसर है।
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परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय व्रत माना जाता है। इस दिन सच्चे मन से व्रत रखकर व भगवान वामन स्वरूप की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन के तमाम दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। धार्मिक ग्रंथ बताते हैं कि इस एकादशी के पालन से मृत्यु के पश्चात व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। धन-धान्य, संतान सुख और समृद्धि के लिए भी यह व्रत अत्यंत फलदायी है। साथ ही, यह व्रत पूर्व जन्मों के पापों को समाप्त कर आत्मा को शुद्ध करता है।
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आज का शुभ मुहूर्त और पारण विधि
परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पारण आज 4 सितम्बर, दोपहर 1:36 बजे से 4:07 बजे तक शुभ मुहूर्त में किया जाएगा। इस समय में पारण करना अत्यंत उत्तम माना जाता है क्योंकि यह समय शिव और विष्णु दोनों के लिए अनुकूल है। पारण से पहले सुबह का स्नान और आराधना आवश्यक है, उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करके ब्राह्मणों को अन्न या धन का दान करना चाहिए। पारण के समय सात्विक एवं शुद्ध आहार ग्रहण करना चाहिए और समय समाप्त होने से पहले पारण पूर्ण कर लेना चाहिए। ध्यान रहे कि द्वाद्वशी तिथि समाप्ति के बाद पारण नहीं करना चाहिए।
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व्रत के नियम
- व्रत के दिन सामान्य अन्न का सेवन वर्जित है।
- फलों का सेवन और दूध पीना व्रत में अनुमत है।
- रात्रि में भूमि पर ही शयन करना चाहिए, जिससे विनम्रता और तपस्या की भावना बनी रहे।
- ब्रह्मचर्य अर्थात विचार और कर्मों में संयम का पालन आवश्यक है।
- क्रोध, झूठ और अपवादों से दूर रहना चाहिए तथा वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए।
- भगवान विष्णु का स्मरण और भजन-कीर्तन करते रहना चाहिए, जिससे मन निर्मल रहता है।
यदि इस परिवर्तिनी एकादशी का व्रत पूरी निष्ठा से और नियमों का पालन करते हुए किया जाए, तो भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति तथा समृद्धि का संचार होता है। यह व्रत हमारी आत्मा को परिष्कृत कर आध्यात्मिक विकास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होता है।
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पारण 4 सितम्बर दोपहर 1:36 से 4:07 बजे तक: एकादशी व्रत का फल
आज, 4 सितम्बर 2025 को, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की परिवर्तिनी एकादशी का व्रत बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ रखा जा रहा है। यह एकादशी इसलिए विशेष है क्योंकि मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी करवट बदलते हैं। इसका पारण या व्रत खोलने का शुभ मुहूर्त 4 सितम्बर को दोपहर 1:36 बजे से 4:07 बजे तक रहेगा। एकादशी व्रत का फल अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा विधिपूर्वक करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा भक्तों पर बनी रहती है और उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इसे धारण करने से पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
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परिवर्तिनी एकादशी को ‘पद्मा एकादशी’ या ‘जलंधर एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने का विशेष विधान है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को राजसूय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। श्रद्धा और भक्ति के साथ यह व्रत रखने वाले भक्तों को मृत्यु के बाद स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है, जिससे आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। यह व्रत उनके लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है जो अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति की इच्छा रखते हैं।
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पारण मुहूर्त का महत्व:
- पारण का समय: 4 सितम्बर 2025, दोपहर 1:36 बजे से 4:07 बजे तक।
- महत्व: इस शुभ मुहूर्त के बीच व्रत खोलना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- व्रत का फल: एकादशी व्रत से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- पाप नाश: यह व्रत सभी प्रकार के पापों को नष्ट करने वाला होता है।
- मोक्ष प्राप्ति: साधकों को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।
- पुण्य फल: इस व्रत को करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्यफल मिलता है।
यदि किसी कारणवश भक्त इस दिन निर्धारित पारण समय में व्रत खोल नहीं पाते हैं, तो उन्हें अगले दिन, अर्थात् 5 सितम्बर के प्रातःकाल में पारण करना चाहिए, लेकिन सबसे उत्तम यही माना गया है कि व्रत को 4 सितम्बर के पारण मुहूर्त में ही खोल दिया जाए।
एकादशी व्रत का फल विशेषकर इस बात पर निर्भर करता है कि श्रद्धा एवं भक्ति की भावना के साथ व्रत किया गया हो। इस दिन दान-पुण्य करने का भी गहरा महत्व है, जो व्रत के पुण्य को और बढ़ाता है।
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परिवर्तिनी एकादशी 2025 की इस जानकारी को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! आशा है कि मोक्षदायिनी तिथि के इस पावन पर्व, परिवर्तिनी एकादशी के महत्व को जानकर आपको भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आपकी आस्था और भक्ति यूं ही बनी रहे!
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