पितृ पक्ष 2025 का उत्सव हर हिंदू परिवार के लिए विशेष महत्व रखता है। यह वह समय होता है जब हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तिथि पर पवित्र अनुष्ठान करते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि पितृ पक्ष 2025 कब शुरू होगा, तो अच्छी खबर है कि यह इस वर्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है। इस दौरान किए गए श्राद्ध कर्मों का हमारे परिवारों और पितरों के लिए गहरा अर्थ होता है। पितृ पक्ष और श्राद्ध की सही तिथि जानना इसलिए भी जरूरी है ताकि हम उचित समय पर अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। इसके साथ ही, इस अवधि में पालन किए जाने वाले नियम और रीति-रिवाज भी बेहद महत्वपूर्ण हैं, जो हमारे पूर्वजों की आशीर्वाद प्राप्ति में सहायक होते हैं। यदि आप पितृ पक्ष को लेकर कुछ उलझन में हैं या सही तिथि और नियमों के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बहुत लाभकारी होगी। पितृ पक्ष न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि पारिवारिक सद्भाव और सुख-समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है। आइए, इस बार पितृ पक्ष 2025 को और बेहतर समझें और अपने परिवार के साथ इसे सही ढंग से मनाएं।
Table of Contents
- पितृ पक्ष 2025: 7 सितंबर से शुरू, जानिए श्राद्ध की सही तिथि और महत्व
- पितृ पक्ष 2025: श्राद्ध के सरल नियम और पालन-पोषण के तरीके
पितृ पक्ष 2025: 7 सितंबर से शुरू, जानिए श्राद्ध की सही तिथि और महत्व
पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म की एक अत्यंत पूजनीय और महत्वपूर्ण अवधि है। यह वह समय होता है जब हम अपने पूर्वजों की याद करते हैं, उनका आदर-सत्कार करते हैं और उनकी आत्मा की शांति हेतु जल तथा पिंडदान करते हैं। वर्ष 2025 में पितृ पक्ष की शुरुआत लेकर कुछ भ्रम था कि क्या यह 6 सितंबर से शुरू होगा या 7 सितंबर से। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि 7 सितंबर 2025 को रात 01:41 बजे आरंभ होकर उसी दिन रात 11:38 बजे समाप्त होगी। अतः, पितृ पक्ष की शुरुआत आधिकारिक रूप से 7 सितंबर 2025 से मानी जाएगी और यह 21 सितंबर 2025 तक चलेगा। यह 15 दिवसीय पर्व पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने का पावन अवसर प्रदान करता है।
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पितृ पक्ष का महत्व और उद्देश्य
पितृ पक्ष का प्रमुख उद्देश्य हमारे पितरों यानी पूर्वजों को प्रसन्न करना और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करना है। धार्मिक आस्था के अनुसार, इस अवधि में हमारे पूर्वज सूक्ष्म स्वरूप में पृथ्वी पर आते हैं और परिजनों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण तथा पिंडदान को स्वीकार करते हैं।
- मोक्ष की प्राप्ति: श्राद्ध कर्मों के माध्यम से पितरों को जन्म और मृत्यु के चक्रीय बंधन से मुक्ति मिलती है, अर्थात वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
- पारिवारिक सुख-समृद्धि: प्रसन्न पितर अपने परिवार को सुख-शांति, समृद्धि, संतान की प्राप्ति और दीर्घायु का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
- कष्टों का निवारण: इस दौरान किए गए दान-पुण्य एवं धार्मिक कार्य जीवन में आने वाली बाधाओं और दुखों को कम करते हैं।
- पितृ दोष का निवारण: ज्योतिषीय मान्यताओं अनुसार, पितृ पक्ष में किए गए अनुष्ठान कुंडली में मौजूद पितृ दोष को शांत करते हैं, जिससे व्यक्ति का जीवन शांतिपूर्ण बनता है।
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श्राद्ध कर्म के आवश्यक नियम
पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक होता है ताकि हमारे पितरों को प्रसन्न किया जा सके और उनका आशीर्वाद हमारे जीवित परिवार को प्राप्त हो सके। इन नियमों का पालन शुद्ध मन, श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए।
- तर्पण: प्रतिदिन स्नान करके दक्षिण दिशा की ओर मुख कर जल में काले तिल मिलाकर तर्पण करना चाहिए। यह पित्तरों को जल अर्पित करने का प्रमुख तरीका है।
- ब्राह्मण भोजन: श्राद्ध के दिन कोई योग्य ब्राह्मण परिवार में बुलाकर आदर सहित भोजन कराना चाहिए। भोजन में खीर, पूरी और ब्राह्मणों की पसंद की वस्तुएं सम्मिलित करनी शुभ माना जाती हैं।
- दान-पुण्य: श्राद्ध कर्म के बाद अपनी सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान जरूर करना चाहिए।
- सात्विक आहार: पूरे पितृ पक्ष के 15 दिनों तक प्याज, लहसुन, मांसाहार से परहेज कर शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करना उत्तम रहता है।
- पवित्रता: घर के वातावरण और अपने मन को सदैव शांत, पवित्र और स्वच्छ बनाए रखना चाहिए।
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पितृ पक्ष 2025: श्राद्ध के सरल नियम और पालन-पोषण के तरीके
पितृ पक्ष वह पवित्र समय है जब हम अपने पूर्वजों को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि समर्पित करते हैं। वर्ष 2025 में पितृ पक्ष को लेकर थोड़ी भ्रमित स्थिति है कि यह 6 सितंबर से शुरू होगा या 7 सितंबर से। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा तिथि 7 सितंबर 2025 की रात्रि 01:41 बजे से प्रारंभ होकर रात 11:38 बजे तक रहेगी, इसलिए पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 से मानी जाएगी और यह 21 सितंबर 2025 को समाप्त होगा। इस अवधि में पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर परिवार के ऊपर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। यह भी माना जाता है कि पितृ पक्ष में किए गए पुण्य और दान से जीवन की बाधाएँ कम होती हैं तथा कुंडली में मौजूद पितृ दोष का प्रभाव भी घटता है।
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पितृ पक्ष का महत्व
धार्मिक दृष्टिकोण से पितृ पक्ष एक ऐसा शुभ काल होता है जब हमारे पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी पर आकर अपने वंशजों के साथ जुड़ती हैं। इस पावन अवधि में श्राद्ध और तर्पण जैसे अनुष्ठानों का पालन किया जाता है ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिल सके। माना जाता है कि इन कर्मों से पितर तृप्त होकर अपने परिवार को सुख-समृद्धि और लंबी आयु का आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष के दौरान दान-पुण्य करना बेहद शुभ होता है; इससे न केवल पूर्वज प्रसन्न होते हैं बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है। साथ ही, यह काल कुंडली में मौजूद पितृ दोष को शांत करने में भी मददगार साबित होता है, जिससे जीवन में जो भी बाधाएँ आ रही हैं, वे दूर हो सकती हैं।
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श्राद्ध के सरल नियम
पितृ पक्ष में पूर्वजों का सम्मान करने के लिए कुछ सरल और प्रभावी नियमों का पालन किया जाता है, जिनसे श्राद्ध संस्कार सुचारु रूप से संपन्न हो सके और पूर्वज खुश रहें:
- प्रत्येक दिन स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके काले तिल और जल से तर्पण करें। यह तर्पण पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।
- श्राद्ध के दिन किसी योग्य ब्राह्मण को घर पर आमंत्रित कर उनका भोजन करवाना अत्यंत शुभ माना जाता है। भोजन में खीर, पूड़ी और ब्राह्मण की पसंदीदा चीजें रखनी चाहिए।
- श्राद्ध कर्म संपन्न होने के बाद, अपनी सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान अवश्य करें, जिससे पुण्य की मात्रा बढ़ती है।
- पूरे पंद्रह दिनों तक सात्विक आहार ही ग्रहण करें और इस दौरान प्याज, लहसुन और मांसाहार का पूर्ण त्याग करें।
- अपने घर और मन को सदैव शुद्ध व शांत रखें क्योंकि यह पवित्रता और मानसिक स्थिरता पितरों की कृपा पाने के लिए आवश्यक है।
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हमें उम्मीद है कि पितृ पक्ष 2025 और श्राद्ध तिथि से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। हमने आपके लिए पितृ पक्ष 2025 में श्राद्ध की सही तिथि और महत्वपूर्ण नियमों को सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की है। यह समय हमारे पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अनमोल अवसर है।
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