5 सितंबर 2025 का दिन हमारे लिए बहुत ही खास है क्योंकि इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त आता है। यदि आप भगवान शिव की पूजा विधि को लेकर उत्सुक हैं या इस पवित्र व्रत को कैसे करें, इसकी जानकारी चाहते हैं, तो यह समय आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि 5 सितंबर 2025 शुभ मुहूर्त के साथ जानना हर श्रद्धालु के लिए अनिवार्य माना जाता है ताकि पूजा का पूरा फल प्राप्त हो सके। इस व्रत का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक शांति पाने के लिए भी काफी गहरा है। प्रदोष काल में की जाने वाली शिव पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ऐसे खास अवसरों पर सही तिथि, शुभ मुहूर्त और विधिपूर्वक पूजा करना व्रती के जीवन में एक नई ऊर्जा और विश्वास का संचार करता है। क्या आप जानते हैं कि इस दिन सूर्योदय और सूर्यास्त का समय भी पूजा करने के उपयुक्त समय को प्रभावित करता है? चलिए, इस दिन की त्रयोदशी तिथि, प्रदोष काल का सही शुभ समय, साथ ही शिव चालीसा, मंत्र जाप और पूजा के दौरान ध्यान में रखनी वाली बातें विस्तार से समझते हैं। इस खास दिन की हर छोटी से छोटी जानकारी आपके व्रत को और भी प्रभावशाली बना देगी।
Table of Contents
- 5 सितम्बर 2025: शुक्र प्रदोष व्रत की त्रयोदशी तिथि और सूर्योदय-सूर्यास्त
- प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
- शिव चालीसा, मंत्र जाप और प्रदोष व्रत कथा का महत्व
5 सितम्बर 2025: शुक्र प्रदोष व्रत की त्रयोदशी तिथि और सूर्योदय-सूर्यास्त
5 सितम्बर 2025 का दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है और भगवान शिव को समर्पित है। पुरातन मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनका जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है। प्रदोष व्रत एक आध्यात्मिक साधना है जो शिव भक्तों के लिए अत्यंत शुभ फलदायी मानी जाती है।
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प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष शुक्र प्रदोष व्रत के लिए पूजा का शुभ समय शाम 6:50 बजे से 7:59 बजे तक रहेगा, जिसे प्रदोष काल कहा जाता है। इस अवधि को भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस शुभ मुहूर्त में की गई आराधना से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्रती के कष्ट दूर होते हैं। प्रदोष काल में शिव की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और धर्मिक बल मिलता है।
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सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
5 सितम्बर 2025 को दिन की शुरुआत सूर्योदय सुबह 6:24 बजे होगी, जबकि सूर्यास्त शाम 6:50 बजे के समय पर होगा। यह जानकारी व्रत से जुड़े विभिन्न अनुष्ठानों और धार्मिक क्रियाकलापों को समयबद्ध तरीके से संपन्न करने में सहायक साबित होगी। सही समय पर पूजा-अर्चना करने से व्रत का शुभ प्रभाव बढ़ता है और धार्मिक फलकारी अनुभूति होती है।
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पूजा विधि
शुक्र प्रदोष व्रत के दिन पूजा विधि बहुत सरल लेकिन प्रभावशाली होती है। व्रती सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्रों का धारण करें। इसके बाद, शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है, जिसमें गंगाजल या शुद्ध जल का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, विभिन्न पुष्प, भांग और धतूरा अर्पित करें।
- फिर भगवान शिव की आरती का संचालन करें, जो भक्ति भाव को बढ़ाती है।
- ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप या शिव चालीसा का पाठ करें, जिससे मन शांति और ऊर्जा मिलती है।
- प्रदोष व्रत कथा का श्रवण या पाठ अवश्य करें ताकि व्रत के महत्व को समझा जा सके।
- अंततः अपने हृदय की मनोकामनाओं को भगवान शिव के समक्ष प्रकट करें।
इस विधि से पूजा करने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन से रुकावटों का अंत करते हैं। प्रदोष व्रत से जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
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अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
ध्यान रखें कि विभिन्न शहरों में सूर्योदय, सूर्यास्त, राहुकाल और अन्य शुभ-अशुभ मुहूर्तों में थोड़ा भिन्नता हो सकती है। अतः, प्रदोष व्रत संबंधित सभी कलाओं को अपने स्थानीय पंचांग के अनुसार अवश्य जांच लें। यह व्रत धन, शांति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए बेहद फलदायी माना जाता है। नियमित रूप से इस व्रत का पालन करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं।
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प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
5 सितम्बर 2025 का दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है, जिस दिन प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस बार प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त शाम 6:50 बजे से 7:59 बजे तक रहेगा। सूर्योदय का समय सुबह 6:24 बजे और सूर्यास्त शाम 6:50 बजे होगा। इस प्रकार यह समय भगवान शिव की पूजा और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत की पूजा सायंकाल अर्थात प्रदोष काल में की जाती है, जब दिन के अंतिम क्षण और रात के आरंभ का समय होता है। इस महत्वपूर्ण समय में पूजा की शुरुआत स्नान करके, शुद्ध और साफ वस्त्र धारण करने के बाद करनी चाहिए। इसका उद्देश्य मन को शुद्ध करना और भगवान शिव की आस्था के साथ निष्ठा से पूजा करना होता है।
- सबसे पहले शिवलिंग को शुद्ध जल से स्नान कराएं, जिसे जलाभिषेक कहा जाता है। यह शिवलिंग की पवित्रता बढ़ाता है।
- इसके बाद शिवलिंग पर ताजा फूल, बेलपत्र, भांग-धतूरा, सफेद चंदन और अन्य समर्पित सामग्री अर्पित करें।
- धार्मिक भक्ति भाव के साथ शिव चालीसा का पाठ करें या शिव के मंत्रों का जाप करें, जिससे शिवजी की कृपा प्रसन्न होती है।
- प्रदोष व्रत की कथा पढ़ना या सुनना आवश्यक माना जाता है, क्योंकि कथा व्रत का अभिन्न हिस्सा है।
- पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और उनसे अपने कृत्यों के लिए क्षमा याचना करें।
- अंत में व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करना चाहिए ताकि व्रत पूर्ण माना जाए।
साथ ही, इस दिन राहुकाल और अन्य शुभ-अशुभ मुहूर्तों का ध्यान रखना भी लाभकारी होता है, परंतु प्रदोष काल का मुहूर्त पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। सुझाव यह है कि आप अपनी स्थानीय पंचांग के अनुसार इन मुहूर्तों की पुष्टि जरूर कर लें।
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शिव चालीसा, मंत्र जाप और प्रदोष व्रत कथा का महत्व
हिन्दू धर्म में भगवान शिव की उपासना के विशेष अंग के रूप में शिव चालीसा, मंत्र जाप और प्रदोष व्रत कथा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 5 सितम्बर 2025 को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के संयोग से प्रदोष व्रत का शुभ अवसर आएगा। इस दिन भक्तगण भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा पात्र बनने का प्रयास करते हैं। शाम 6:50 बजे से 7:59 बजे तक प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त होगा, जो इस पूजा के लिए बेहद फलदायक और श्रेष्ठ माना जाता है।
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प्रदोष व्रत का महत्व और पूजा विधि
प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना में समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस दिन व्रत रखने और पूजा विधि का पालन करने से सभी जीवन की बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से 5 सितम्बर 2025 को होने वाले प्रदोष व्रत में, श्रद्धालु शिवलिंग का जलाभिषेक करते हुए उन्हें फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरा अर्पित कर उनकी महिमा का बखान करते हैं। पूजा के दौरान विशेष नियमों का पालन करना शुभ फलदायक होता है।
- व्रत का संकल्प: सुबह प्रातः उठकर शुद्ध और पवित्र होकर व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग पूजा: पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें तथा जल अर्पित करें।
- श्रृंगार: चंदन, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा और भांग आदि से शिवलिंग की शोभा बढ़ाएं।
- दीप-धूप: दीपक जलाएं और सुगंधित धूप-बत्ती प्रज्वलित करें।
- मंत्र जाप: भगवान शिव के पवित्र बीज मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें।
- शिव चालीसा पाठ: विधिपूर्वक शिव चालीसा का पाठ करें।
- प्रदोष कथा: प्रदोष व्रत कथा का श्रवण या पाठ करना अत्यधिक फलदायक होता है।
- आरती: अंत में भगवान शिव की भव्य आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
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शिव चालीसा, मंत्र जाप और कथा का प्रभाव
शिव चालीसा का नियमित पाठ मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है तथा भगवान शिव की अपार कृपा पाने का आसान साधन है। ‘ॐ नमः शिवाय’ जैसे शक्तिशाली मंत्रों का जाप मानसिक एकाग्रता बढ़ाता है और आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रबल करता है। प्रदोष व्रत कथा के श्रवण से जीवन में बाधाएं कम होती हैं और सुख-समृद्धि का प्रवाह बढ़ता है। 5 सितम्बर 2025 के इस विशेष दिन इन सभी धार्मिक कर्मों को विधिपूर्वक करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद और फल की प्राप्ति होती है।
सूर्योदय का समय सुबह 6:24 बजे है और सूर्यास्त शाम 6:50 बजे होगा। साथ ही, राहुकाल एवं अन्य शुभ-अशुभ मुहूर्तों का पंचांग अनुसार ध्यान रखना पूजा के सफल परिणाम के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस प्रकार, पूरे दिन का प्रत्येक क्षण भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है।
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हमें उम्मीद है कि 5 सितंबर 2025 के शुक्र प्रदोष व्रत से जुड़ी यह जानकारी, जिसमें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि शामिल है, आपके लिए उपयोगी रही होगी। भगवान शिव की कृपा आप पर सदैव बनी रहे!
Sources
[Source 1] – Religion Latest News In Hindi – Amarujala.com
[Source 2] – Religion Latest News In Hindi – Amarujala.com
[Source 3] – Religion Latest News In Hindi – Amarujala.com
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